द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले केरायरंगपुर (उपरबेड़ा ) की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई उपरबेड़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय से की थी। इसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की।
देश के सबसे दूरस्थ और अविकसित जिलों में से एक में गरीबी से जूझ रहे एक आदिवासी परिवार में जन्म लेने के बाद, उनका बचपन चुनौतियों से भरा था।
द्रौपदी मुर्मू ने एक बैंकर श्याम चरण मुर्मू से शादी की, जिनकी 2014 में मृत्यु हो गई थी। दंपति के दो बेटे थे, दोनों का निधन हो गया, और एक बेटी इतिश्री मुर्मू थी। हालांकि, उन्होंने इन हादसों से हार नहीं मानी और समाज की ओर अपनी जिम्मेदारियां निभाती रहीं।
द्रौपदी मुर्मू टीचिंग करियर
द्रौपदी मुर्मू ने राज्य की राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक स्कूल शिक्षक के रूप में शुरुआत की। मुर्मू ने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, रायरंगपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में और ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में एक जूनियर सहायक के रूप में काम किया।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर
द्रौपदी मुर्मू 1997 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं और रायरंगपुर नगर पंचायत की पार्षद चुनी गईं। 2000 में, वह रायरंगपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष बनीं और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आज से 25 साल पहले एक वार्ड काउंसलर के रूप में शुरू की थी। इसके बाद वह विधायक भी बनीं। वह रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं हैं। साल 2015 में उन्होंने झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। खास बात यह रही कि उन्हें कार्यकाल पूरा होने के बाद भी राज्य की राज्यपाल बनाए रखा गया। आदिवासी हितों का ध्यान रखने वाली मुर्मू को सभी दलों की ओर से सराहना मिलती रही है।
NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है, उनकी इस जीत पर उन्हें बधाइयों का तांता लग गया है वहीं सबसे पहले बधाई देने वालों में यशवंत सिन्हा भी शामिल रहे जिन्हें वो पराजित कर ये चुनाव जीती हैं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्रौपदी मुर्मू की जीत से खासे खुश हैं और उन्हें बधाई दी है।
2022 के राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को हरा दिया है और वो देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गईं।
द्रौपदी मुर्मू: झारखंड की राज्यपाल के रूप में
द्रौपदी मुर्मू ने 18 मई 2015 को झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ली और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं। वह भारतीय राज्य के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली ओडिशा की पहली महिला आदिवासी नेता थीं।
2017 में झारखंड की राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट, 1908 और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, 1949 में संशोधन की मांग करने वाले झारखंड विधान सभा द्वारा अनुमोदित बिल को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
विधेयक में आदिवासियों को उनकी भूमि का व्यावसायिक उपयोग करने का अधिकार देने की मांग की गई, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि भूमि का स्वामित्व नहीं बदलता है।
द्रौपदी मुर्मू पुरस्कार और सम्मान
द्रौपदी मुर्मू, 2007 में, ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक (विधान सभा के सदस्य) के लिए नीलकंठ पुरस्कार प्राप्त किया।